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Kidambi Srikanth reached his maiden World Championship Final
भारत के स्टार खिलाड़ी किदांबी श्रीकांत ने हमवतन लक्ष्य सेन को कड़े मैच में 17-21, 21-14, 21-17 से हराकर बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाई और इतिहास रच दिया। वह इस टूर्नामेंट के खिताबी मुकाबले में पहुंचने वाले पहले भारतीय पुरुष एकल खिलाड़ी बन गए। 20 वर्षीय लक्ष्य सेन को भले ही हार का सामना करना पड़ा, लेकिन वो अपने पहले वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप से कांस्य पदक के साथ वापस जाएंगे।
इसके साथ ही लक्ष्य सेन ने दिग्गज प्रकाश पादुकोण (1983) और बी साई प्रणीत (2019) के बाद इस बड़े टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीतने वाले तीसरे भारतीय खिलाड़ी बनने का गौरव हासिल किया। इससे पहले भारत की पीवी सिंधु ने एकल में एक स्वर्ण, दो रजत और दो कांस्य पदक जीते हैं, जबकि ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की महिला युगल जोड़ी ने भी 2011 में कांस्य पदक अपने नाम किया था। साथ ही सायना नेहवाल भी एक रजत और कांस्य पदक जीत चुकी हैं।
पहला गेम हारने के बाद श्रीकांत ने की वापसी
पिछले 2-3 साल से चोट और फॉर्म से जूझ रहे किदांबी श्रीकांत के लिए हालिया 2 महीने काफी अच्छे रहे हैं। धीरे-धीरे वह अपनी पुरानी फॉर्म वापस पा रहे हैं और उनका आत्मविश्वास भी टूर्नामेंट-दर-टूर्नामेंट बढ़ रहा है। अगर वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप के सेमीफाइनल की बात की जाए तो उम्मीद के अनुरूप यह मुकाबला काफी मशक्क्त भरा रहा।
पहले गेम में दोनों खिलाड़ी शुरुआती कुछ अंकों में एक-दूसरे की खेलने की शैली से रूबरू हो रहे थे। इस दौरान कुछ अच्छी रैलियां भी देखने को मिलीं। 20 वर्षीय लक्ष्य ने धीरे-धीरे अंक जुटाने शुरू किए और बढ़त बना ली। श्रीकांत आक्रामक रवैया अपना रहे थे लेकिन लक्ष्य के पास उनके हर शॉट का जवाब था। हालांकि, मुकाबला बराबरी का ही चल रहा था लेकिन अंत में लक्ष्य ने पहला गेम अपने नाम किया।
श्रीकांत ने दूसरे गेम में बेहतर शुरुआत की और अपने पाले में अंक जुटाए, लेकिन लक्ष्य ने फिर से वापसी करते हुए बराबर कर दिया। इस बार श्रीकांत ने नेट प्ले में इजाफा करते हुए लक्ष्य को कोर्ट के चारों तरफ भगाना शुरू किया और कुछ अच्छे अंक हासिल किए। अपने अनुभव का फायदा उठाते हुए श्रीकांत ने दूसरा गेम 21-14 से जीत लिया।
एक-एक गेम की बराबरी के बाद निर्णायक तीसरे गेम में दोनों खिलाड़ियों ने अपने खेल को और ऊंचा कर दिया। इस दौरान एक 43 शॉट की रैली भी देखने को मिली जो इस बात का प्रमाण था कि दोनों फाइनल में पहुंचने का कोई मौका गंवाना नहीं चाहते। श्रीकांत ने मिड गेम इंटरवल के बाद सटीक क्रॉस कोर्ट स्मैश और नेट प्ले का इस्तेमाल और बेहतर ढंग से करना शुरू किया और अंत में मुकाबला अपने नाम किया।