एमएस धोनी और विराट कोहली भारतीय क्रिकेट के दो सबसे सफल कप्तान रहे हैं। दोनों ने अपनी कप्तानी में भारत को नई ऊंचाइयों पर ले गए। धोनी ने अपनी कप्तानी में भारत को सभी अंतरराष्ट्रीय ट्रॉफियां दिलाई। उनके नेतृत्व में भारत ने 2007 टी-20 विश्व कप, 2011 वर्ल्ड कप और 2013 चैंपियन ट्राफी जीता।
दूसरी तरफ विराट कोहली ने भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान रहे हैं। इन दोनों कप्तानों के नेतृत्व में कई बेहतरीन खिलाड़ियों को भारत के लिए खेलने का मौका मिला, लेकिन खुद को साबित करने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं दिए गए। इस आर्टिकल में हम ऐसे ही पांच खिलाड़ियों की बात करेंगे।
मनोज तिवारी-
होनहार खिलाड़ियों में से एक मनोज तिवारी भारतीय टीम में बहुत अधिक समय तक टिक नहीं सके। लगभग सात साल के अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में मनोज तिवारी सिर्फ 12 वनडे और 3 टी-20 मैच खेल सके। वह सीमित मौके पर उम्मीदों पर खरे उतरें हैं, लेकिन वह टीम में अपनी स्थायी जगह बनाने में विफल रहे। एक इंटरव्यू में मनोज तिवारी ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के उतार-चढ़ाव के बारे में भी बात की।
अमित मिश्रा-
भारत के बेहतरीन स्पिनर्स में से एक अमित मिश्रा अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में सिर्फ 68 मैच खेल सके। 2003 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी उपस्थिती दर्ज कराने वाले अमित मिश्रा ने एक दशक से भी ज्यादा समय में केवल 22 टेस्ट, 36 वनडे और 10 टी-20 मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने क्रमश: 76 टेस्ट विकेट, 64 वनडे विकेट और 16 टी-20I विकेट हासिल किए हैं। उन्होंने आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच 2017 में खेला था।
मनीष पांडे-
दाएं हाथ के बल्लेबाज ने 2015 में डेब्यू करने के बाद से 29 वनडे और 39 टी-20 मैचों में क्रमश: 566 और 709 रन बनाए हैं। मौका मिलने पर वह हमेशा खरे उतरे हैं। इसके बावजूद वह भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की नहीं कर पाए। जब वह भारतीय टीम का नियमित हिस्सा थे, तो कप्तान ने उन पर पर्याप्त विश्वास नहीं दिखाया और कम मौके मिले।
वरुण एरोन
बंगाल के इस तेज गेंदबाज को घरेूल क्रिकेट में शानदार गेंदबाजी करने पर भारतीय टीम में मौका मिला। क्रिकेट जानकारों ने उन्हें गेंदबाजी में भारत का अगला बड़ा नाम बता रहे थे। तेज गेंदबाजी उनका हथियार था, लेकिन समय-समय पर चोटों ने एरोन को परेशान किया। 2011 में एरोन ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेला था। दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि वह भारत के लिए केवल 9 वनडे और 9 टेस्ट मैच खेल सके।
अंबाती रायुडू-
घरेलू क्रिकेट और इंडियन टी-20 लीग में दोनों में शानदार प्रदर्शन करने के बावजूद अंबाती रायुडू को अंतरराष्ट्रीय डेब्यू करने के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा। डेब्यू के बाद से 55 वनडे मैचों में 47.05 की औसत से 1694 रन बनाए हैं। निरंतर प्रदर्शन के बावजूद रायुडू को भारत के तत्कालीन कप्तानों द्वारा दरकिनार किया गया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा करने के बाद भी सुर्खियां बटोरीं।