अफगानिस्तान में तालिबान के अधिग्रहण के बाद से वहां महिलाओं के अधिकारों को लेकर चिंताजनक स्थिति है। तालिबान ने महिला क्रिकेट टीम पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि इस बीच अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के नवनियुक्त अध्यक्ष मीरवाइज अशरफ ने बुधवार को एसीबी स्टाफ के साथ बैठक के दौरान घोषणा की कि महिला टीम क्रिकेट खेलना जारी रखेगी।
मीरवाइज अशरफ के ऐलान के बाद महिला अधिकारों को लेकर उनमें आत्मविश्वास और उम्मीद जगी है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद सभी मान्यता प्राप्त देशों को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करन के लिए अनिवार्य करती है।
मीरवाइज अशरफ ने कहा महिलाएं क्रिकेट खेलेंगी
एसीबी अध्यक्ष ने कहा कि महिला क्रिकेट आईसीसी की प्रमुख जरूरतों में से एक है, इसलिए वह इसे हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। देश की महिलाएं सामान्य रूप से क्रिकेट खेलेंगी। हम उनकी बुनियादी जरूरतों और उन्हें सभी सुविधाएं प्रदान करने की कोशिश कर रहे हैं।
एसीबी के नेतृत्व में हालिया बदलाव के लिए आईसीसी की आलोचना की गई और निकाय ने कहा कि आईसीसी ने अफगानिस्तान में क्रिकेट की स्थिति का आकलन करने के लिए एक समूह बनाया है। अशरफ ने कहा एसीबी के हर कर्मचारी को प्रतिबद्ध रहना चाहिए और अपने-अपने क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।
अफगानिस्तान में क्रिकेट की स्थिति का आकलन करने के लिए वर्कग्रुप के गठन से पहले आईसीसी के अध्यक्ष ग्रेग बार्कले ने कहा था कि हम केवल स्थिति की निगरानी रख सकते हैं। उम्मीद है कि चीजें ठीक हो जाएंगी। हम महिला क्रिकेट आगे बढ़ते हुए देख सकेंगे। हम स्वीकार करते हैं कि यह बहुत कम संभावनाओं के साथ आ रहा है, इसके सांस्कृतिक और धार्मिक कारण है।
महिलाओं को क्रिकेट खेलने की जरूरत नहीं
आईसीसी का वर्कग्रुप गठन का फैसला तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के उप प्रमुख अहमदुल्ला वासीक के कहने के बाद आया था कि महिलाओं को क्रिकेट खेलने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा था कि क्रिकेट में ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है जहां उनका चेहरा और शरीर ढंका नहीं होगा। इस्लाम महिलाओं को इस तरह देखने की इजाजत नहीं देता। यह मीडिया का जमाना है। इसमें फोटो और वीडियो होंगे। फिर लोग इसे देखेंगे। इस्लाम और इस्लामिक अमीरात महिलाओं को क्रिकेट खेलने या उस तरह के खेल खेलने की अनुमति नहीं देते हैं, जहां वे ढकी न हो।