भारतीय बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे पिछले कुछ महीनों से खराब दौर से गुजर रहे हैं। उनके बल्ले से रन नहीं बन रहे हैं। साल 2021 में उन्होंने 13 टेस्ट में 20.83 की औसत से सिर्फ 479 रन बनाए, जिसका परिणाम हुआ कि उन्हें टेस्ट प्रारूप में भारत के उपकप्तानी से हटा दिया गया। खराब फॉर्म को लेकर उनके प्लेइंग इलेवन में बने रहने पर भी सवाल उठने लगे।
इस साल दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भी रहाणे ज्यादा प्रभावित नहीं कर सके। उन्होंने दो टेस्ट मैच के चार पारियों में 68 रन बनाए, जिसमें एक अर्धशतक भी शामिल है। इस बीच टेस्ट प्रारूप में अपने खराब फॉर्म के बारे में बात करते हुए अजिंक्य रहाणे ने कहा कि खेल के लिए समय की कमी ने उनके बल्लेबाजी को प्रभावित किया है।
चूंकि अजिंक्य रहाणे वनडे और टी-20 टीम में नहीं रहे हैं, उनके पास अभ्यास के लिए मैचों की कमी होती है। उनका मानना है कि इन चीजों को देखते हुए उनके प्रदर्शन पर ध्यान देना चाहिए।
आप घर बैठे रन नहीं बना सकते : अजिंक्य रहाणे
अजिंक्य रहाणे ने बैकस्टेज विथ बोरिया पर कहा कि कभी-कभी वास्तविकता यह होती है कि जब आप केवल एक प्रारूप खेलते हैं और पिछले 2-3 सालों में जहां कोई रणजी क्रिकेट नहीं खेला गया और कोई अन्य घरेलू क्रिकेट नहीं हुए, मुझे लगता है कि इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए, क्योंकि आप घर पर बैठकर रन नहीं बना सकते।
उन्होंने कहा आप कितना भी अभ्यास करें या कितने नेट सत्र हों, उससे आत्मविश्वास नहीं मिलेगा। आत्मविश्वास खेल के समय और मैचों में रन बनाने के साथ आता है। पिछली बार साल 2019-20 में रणजी ट्रॉफी आयोजित हुआ था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण 2021-22 का संस्करण रद्द कर दिया गया। वहीं देश में अचानक से कोरोना के मामले बढ़ने के कारण मौजूदा सीजन में भी देरी हुई है।
वनडे टीम से अचानक ड्रॉप किया गया
देश में प्रथम श्रेणी टूर्नामेंट 17 फरवरी से शुरू होगा। इस बीच रहाणे ने यह भी कहा कि प्रारूप में काफी अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद उन्हें 2018 में वनडे टीम से अचानक हटा दिया गया था।रहाणे ने वनडे प्रारूप से हटाए जाने पर कहा कि इससे पहले वह टीम इंडिया के लिए लगातार वनडे क्रिकेट खेल रहे थे और अच्छा कर रहे थे। अचानक उन्हें टीम से ड्रॉप कर दिया गया।
उन्होंने कहा वह अतीत में नहीं जाना चाहते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि 2014,15,16, और 17 में अच्छा खेल रहे थे। वनडे और टेस्ट दोनों में वास्तव में अच्छा खेल रहे थे। उसके बाद उन्हें मुश्किल से खेल का समय मिला। टेस्ट मैचों के बीच भी बहुत बड़ा अंतर था।