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बेन स्टोक्स ने सॉफ्ट सिग्नल के नियम को हटाने को लेकर मांग की, जानें क्यों खड़ा हुआ यह विवाद?

राईली रूसो के शानदार प्रदर्शन के कारण साउथ अफ्रीका मैच जीतने में सफल रही। उन्होंने सिर्फ 55 गेंदों में नाबाद 96 रन बनाए

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Manoj Kumar
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Ben Stokes

Ben Stokes ( Image Credit: Twitter)

28 जुलाई को इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका के बीच हुए दूसरे टी-20 मुकाबले में  साउथ अफ्रीका ने इंग्लैंड को 58 रनों से हराया। हार के बाद बेन स्टोक्स ने "सॉफ्ट सिग्नल" के नियम को खत्म करने की मांग की। राईली रूसो के शानदार प्रदर्शन के कारण साउथ अफ्रीका मैच जीतने में सफल रही। उन्होंने सिर्फ 55 गेंदों में नाबाद 96 रन बनाए, लेकिन इंग्लिश कप्तान जोस बटलर ने तर्क दिया कि रूसो 37 रन पर ही आउट हो जाते।

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दरअसल, इंग्लैंड के विकेटकीपर बटलर ने छलांग लगाकर रूसो का कैच पकड़ा जो उनके ग्लव्स के पास से गई थी। लेकिन अंपायर द्वारा रूसो को आउट नहीं दिया गया जिसके बाद बटलर ने रिव्यू लिया। रिव्यू में पाया गया कि बटलर ने एक क्लीन कैच पकड़ा है लेकिन थर्ड अंपायर ने बाद में रूसो को आउट नहीं दिया और उसके बाद उन्होंने घातक बल्लेबाजी की और टीम को बड़े स्कोर पर लाकर खड़ा किया।

स्टोक्स को सॉफ्ट सिग्नल से छुटकारा चाहिए 

ट्विटर पर इस घटना के बारे में स्टोक्स ने कहा कि थर्ड अंपायर ने रूसो के आउट होने पर अपना निर्णय लेने के बारे में ज्यादा नहीं सोचा और उसकी जगह ऑन-फील्ड अंपायरों के "सॉफ्ट सिग्नल" पर ज्यादा जोर दिया।

उन्होंने लिखा कि, "ओह थर्ड अंपायर बिना सॉफ्ट सिग्नल के अपना निर्णय लेते है। तो क्या हम अब सॉफ्ट सिग्नल से छूटकारा पा सकते हैं।"

सॉफ्ट सिग्नल की बात करें तो जब भी इस तरह की घटना होती है और कोई टीम DRS के लिए जाती है और ऑन-फील्ड अंपायर 'सॉफ्ट सिग्नल' देते हैं ताकि उनका विचार जाना जा सके। इसके बाद थर्ड अंपायर को 'सॉफ्ट सिग्नल' के फैसले को ध्यान में रखकर निर्णायक फैसला लेना होता है। ज्यादातर समय यह पता लगाना आसान रहता है कि बल्लेबाज आउट है या नहीं।

लेकिन इन मामलों में, 2D इमेज की मदद से किसी निर्णायक फैसले पर जाना मुश्किल हो जाता है। टेलीविजन रिप्ले में 2D इमेज दिखाई देता है इसलिए अंपायर को थोड़ी दिक्कत होती है। इसलिए, यह फैसला करना मुश्किल हो जाता है कि गेंद ने सतह को छुआ है या नहीं। और इस स्थिति में, थर्ड अंपायर 'सॉफ्ट सिग्नल' के फैसले के साथ जाता है। लेकिन इस मामले में फील्ड अंपायरों ने कोई 'सॉफ्ट सिग्नल' नहीं दिया। उन्होंने यह सोचकर अपना फैसला दिया था कि गेंद रूसो के बल्ले से नहीं लगी।

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