'Nepotism की पैदाइश' वीरेंद्र सहवाग के बेटे को U16 में मिली जगह तो बौखलाए फैंस

जब भी लोग नेपोटिज्म शब्द सुनते हैं, तो सबसे पहली बात जो आपके दिमाग में आती है वह बॉलीवुड है। ऐसा इसलिए क्योंकि यही वह जगह है

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Manoj Kumar
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(virendra sehvag Nepotism)

(virendra sehvag Nepotism)

जब भी लोग नेपोटिज्म (Nepotism) शब्द सुनते हैं, तो सबसे पहली बात जो आपके दिमाग में आती है वह बॉलीवुड है। ऐसा इसलिए क्योंकि यही वह जगह है जिसने भारतीय दर्शकों को बड़े पैमाने पर इस शब्द से रूबरू करवाया है। नेपोटिज्म (Nepotism)  को आसान शब्दों में कहें तो इसका मतलब यह है कि कोई व्यक्ति अपने पद या पॉवर का इस्तेमाल करके अपने परिवार के सदस्यों के लिए एक नौकरी लेने के लिए चीजों को आसान बनाता है।

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हालाँकि, नेपोटिज्म (Nepotism) सिर्फ बॉलीवुड तक ही सीमित नहीं है जहाँ स्टार किड्स को बिना किसी संघर्ष के अपना बड़ा ब्रेक पाना आसान लगता है। ऐसा क्रिकेट जगत में भी होता है।

दरअसल, मंगलवार (6 दिसंबर) को दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) ने विजय मर्चेंट ट्रॉफी में बिहार के खिलाफ आगामी मैच के लिए अपनी 15 सदस्यीय टीम की घोषणा की है। आइए देखें लिस्ट

यह लिस्ट देखकर आपको ज्यादा कुछ समझ नहीं आ रहा होगा। आपको लग रहा होगा कि इसमें ऐसा क्या खास है। लेकिन आपको बता दें कि इस लिस्ट में एक नाम जिसने प्रशंसकों का ध्यान खींचा वह भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग के बड़े बेटे आर्यवीर सहवाग का है।

इस नाम को देखते ही ट्विटर पर सवालों की लड़ी लग गई। कुछ ने कहा कि बेटे के दिल्ली अंडर-16 टीम में शामिल होने पर सहवाग का बड़ा हाथ है। जबकि कुछ ने इसे अन्य ने स्पष्ट रूप से नेपोटिज्म (Nepotism) का एक और मामला बताया है।

यहाँ देखें फैंस का रिएक्शन

बात करें इस मुद्दे की तो यह काफी हैरान करने वाला होता है कि सोशल मीडिया पर ट्रोल करने वालें कितनी आसानी से किसी स्टार किड को जज कर लेते हैं, अगर वह वह अपने माता-पिता के समान उसी फील्ड में कुछ अच्छा करता है या कुछ हासिल करता है।

ऐसा ही हमने सोशल मीडिया पर अर्जुन तेंदुलकर के लिए देखा था जब उन्हें मुंबई फ्रेंचाईजी के लिए टीम में चुना गया था। हालांकि, सचिन तेंदुलकर के बेटे होने के बावजूद इंडियन टी-20 लीग के साथ-साथ घरेलू क्रिकेट में अवसर नहीं मिलने के बाद, अर्जुन ने अपना आधार गोवा में स्थानांतरित कर लिया और अपने प्रदर्शन से यह साबित कर दिया कि उन्हें 'नेपोटिज्म' के रूप में लेबल करना एक गलती थी।

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