इशांत शर्मा को भारत के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजों में से एक माना जाता है, जिन्होंने कम से कम टेस्ट क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करते हुए कई रिकार्ड अपने नाम किए हैं। कपिल देव (131 टेस्ट मैच, 434 विकेट) के अलावा किसी भी भारतीय तेज गेंदबाज ने इशांत से अधिक टेस्ट नहीं खेले हैं या अधिक विकेट लिए हैं।
इशांत ने साल 2007 में पाकिस्तान के खिलाफ डेब्यू करने के बाद से अपने करियर के दौरान 105 टेस्ट मैच खेले और 311 विकेट लिए। एक ओर जहां शर्मा ने कमाल का प्रदर्शन किया वहीं, उनकी जिंदगी में एक ऐसा दौर आया था जब वह अंदर से टूट चुके थे। इशांत शर्मा ने शिखर धवन और महेन्द्र सिंह धोनी की तारीफ करते हुए कहा कि इन दोनों ने उनके बुरे दौर से उबरने में उनकी मदद की।
क्या था वह बुरा दौर?
इशांत शर्मा ने एक क्रिकेट शो में बात करते हुए कहा कि, "मेरा सबसे खराब पल साल 2013 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली में हुआ मैच था। मुझे नहीं पता कि इससे बुरा पल मेरे लिए कभी हो सकता है या नहीं। यह मेरे लिए बहुत कठिन था। मैंने मैच में बहुत रन दिए। जिस चीज ने मुझे सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई वह यह थी कि मैं टीम की हार का कारण था।"
उन्होंने आगे कहा कि, "मैं उस समय अपनी पत्नी को डेट कर रहा था और मैंने उससे बात की थी और मैं बहुत रोया था। मैं उसे हर दिन फोन करता था और फोन पर यह कहते हुए रोता था कि टीम मेरी वजह से हारी।"
धोनी और धवन ने इशांत शर्मा को दिया सहारा
इशांत शर्मा ने खुलासा किया कि कैसे धोनी और धवन उनके कमरे में आए और उन्हें प्रोत्साहित किया।
उन्होंने कहा, "अच्छी बात यह हुई कि माही भाई (एमएस धोनी) और शिखर धवन मेरे कमरे में आए और कहा, 'देखो, तुम अच्छा कर रहे हो।" क्योंकि उस एक मैच की वजह से सबके अंदर यह धारणा बन गई थी कि मैं व्हाइट बॉल क्रिकेट में अच्छा गेंदबाज नहीं हूं।
इशांत आखिरी बार साल 2016 में भारत के लिए खेले थे।