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आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं सचिन तेंदुलकर के करीबी दोस्त विनोद कांबली, लगाई मदद की गुहार

पूर्व भारतीय क्रिकेटर विनोद कांबली आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं और वह फिलहाल काम की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं।

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Justin Joseph
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Vinod Kambli. (Photo Source: Twitter)

Vinod Kambli. (Photo Source: Twitter)

अगर आप 90 के दशक की शुरुआत से भारतीय क्रिकेट के प्रशंसक हैं तो विनोद कांबली को आप भली-भांति जानते होंगे। वह अपनी तेजतर्रार बल्लेबाजी और बैटिंग स्टाइल के लिए जाने जाते थे। उन्हें आपने अक्सर गले में सोने की चेन, हाथ में ब्रेसलेट और कलाई में शानदार घड़ी के साथ देखा होगा। हालांकि, समय के साथ सब बदलता है। इन दिनों कांबली की आर्थिक हालत इतनी खराब है कि उन्हें पहचानना मुश्किल है।

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पूर्व भारतीय क्रिकेटर वित्तीय संकट से गुजर रहे हैं और उनके पास कोई काम भी नहीं है। कांबली की आय का एकमात्र स्रोत बीसीसीआई से मिलने वाली पेंशन है। जिसके जरिए उन्हें 30 हजार रुपये मिलते हैं। लेकिन इस पैसे से उन्हें अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो रहा है।

उन्होंने आखिरी बार 2019 में मुंबई टी-20 लीग में टीम को कोचिंग दी थी। उन्होंने नेरुल में तेंदुलकर मिडलसेक्स ग्लोबल एकेडमी में भी युवाओं का मार्गदर्शन किया। लेकिन उनके लिए अब सफर करना मुश्किल था। पूर्व क्रिकेटर ने कहा, 'मैं सुबह 5 बजे उठता था और कैब से डीवाई पाटिल स्टेडियम जाता था। यह बहुत व्यस्त था। मैं फिर शाम को बीकेसी मैदान में कोचिंग देना।'

'मेरे पास देखभाल के लिए एक परिवार है'

उन्होंने पेंशन में मदद करने के लिए बीसीसीआई को भी धन्यवाद दिया। इसके अलावा उन्होंने एमसीए से क्रिकेट से जुड़े किसी भी काम में उनकी मदद करने का अनुरोध किया। कांबली ने कहा, 'मुझे असाइनमेंट चाहिए, जहां मैं युवाओं के साथ काम कर सकूं। मुझे पता है कि मुंबई ने अमोल मजुमदार को अपना मुख्य कोच बनाए रखा है, लेकिन अगर कहीं भी मेरी जरूरत है, तो मैं वहां हूं।'

कांबली ने आगे कहा कि, 'मैं मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन से मदद मांग रहा था। मैं सीआईसी (क्रिकेट सुधार समिति) में आया, लेकिन यह एक मानद नौकरी थी। मैं कुछ मदद के लिए एमसीए गया था। मेरे पास देखभाल करने के लिए एक परिवार है। मैंने एमसीए से कई बार कहा कि अगर आपको मेरी जरूरत है तो मैं वहां हूं चाहे वह वानखेड़े स्टेडियम में हो या बीकेसी। मुंबई क्रिकेट ने मुझे बहुत कुछ दिया है। मैं इस खेल के लिए अपने जीवन का ऋणी हूं।'

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