लंदन के ओवल में 7-11 जून तक खेले गए वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 209 रनों से हराकर खिताब पर कब्जा कर लिया। इस तरह भारत के अंतरराष्ट्रीय ट्रॉफी जीतने का इंतजार और लंबा हो गया। टीम इंडिया की इस करारी हार पर क्रिकेट एक्सपर्ट्स ने कड़ी आलोचना की है।
इसी क्रम में गौतम गंभीर ने कुछ ऐसे मुद्दों पर बात की है, जो उन्हें लगता है कि भारतीय क्रिकेट में लंबे समय से चला आ रहा है। उनके मुताबिक कुछ क्रिकटरों को उनके पीआर द्वारा टीम से बड़ा दिखाया गया है। गंभीर ने किसी खिलाड़ी का नाम नहीं लिया, लेकिन फैन्स का मानना है कि उनका इशारा एमएस धोनी और विराट कोहली की तरफ है।
हम युवराज का नाम क्यों नहीं लेते- गौतम गंभीर
न्यूज 18 से बात करते हुए गौतम गंभीर ने कहा कि वह (युवराज) हमेशा कहते हैं कि मैंने विश्व कप जीता, लेकिन मेरा मानना है कि जो व्यक्ति हमें 2011 और 2007 के विश्व कप के फाइनल में ले गया, वह युवराज सिंह था। मुझे लगता है कि वह दोनों टूर्नामेंटों में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट थे।
उन्होंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि मुझे यकीन नहीं होता और दुर्भाग्य की बात है कि जब हम 2007 और 2011 विश्व कप की बात करते हैं तो हम युवराज सिंह का नाम नहीं लेते हैं। क्यों नहीं लेते? यह केवल और केवल मार्केटिंग और पीआर है, जिसने एक व्यक्ति को बड़ा दिखाया और बाकी को उनसे छोटा कर दिया गया। कई लोग ऐसा नहीं कहेंगे और मुझे लगता है कि मुझे यह कहना चाहिए क्योंकि यह सच दुनिया के सामने आना चाहिए। हमारा देश टीम-ओब्सेस्ड देश नहीं है, बल्कि व्यक्तिगत-ओब्सेस्ड देश है।
अन्य देशों का दिया उदाहरण
उन्होंने अन्य देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में टीम व्यक्तिगत से बड़ी है। भारतीय क्रिकेट के सभी हितधारक, ब्रॉडकास्टर और मीडिया से लेकर ये सभी एक पीआर एजेंसी में सिमट कर रह गए हैं। अगर ब्रॉडकास्टर आपको क्रेडिट नहीं देंगे तो आपको हमेशा कम आंका जाएगा। यही सच्चाई है और यही कारण है कि हम इतने लंबे समय तक कोई प्रमुख टूर्नामेंट नहीं जीत सके हैं।