अनुभवी भारतीय ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने शुक्रवार को 23 साल के लंब क्रिकेट करियर को अलविदा कहा और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की। हरभजन सिंह भारत की ओर से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 711 विकेट लेने के साथ अनिल कुंबले के बाद दूसरे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज है। उनका यह रिकॉर्ड चौंकाने वाला है, लेकिन पिछले कुछ साल उनके लिए फलदायी नहीं रहे।
रविचंद्रन अश्विन के टीम इंडिया में एंट्री के बाद हरभजन सिंह ने ऑफ स्पिनर के रूप में अपनी जगह खो दी। 2011 विश्व कप के बाद हरभजन सिंह टीम का नियमित हिस्सा नहीं थे। उन्होंने फरवरी 2016 में अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेला था। इस बीच उनके टीम इंडिया से बाहर होने के बारे में पूछे जाने पर हरभजन सिंह ने कहा कि उन्हें इसके पीछे का कारण नहीं बताया गया।
'अगर समर्थन मिलता तो और विकेट ले सकता था'
हरभजन सिंह ने एक अखबार से बातचीत में बताया कि जब कोई 400 से अधिक विकेट लेता है और फिर उसे मौका नहीं मिलता है या उसे ड्रॉप का कारण नहीं बताया जाता है, तो मन में कई सवाल उठते हैं। उन्होंने कई लोगों से टीम से बाहर होने के बारे में पूछा, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला।
हरभजन ने यह भी कहा कि अगर उन्हें 2012 के बाद समर्थन मिला होता तो वे टेस्ट में 500 या उससे अधिक विकेट हासिल कर सकते थे। वह इस बात से भी निराश थे कि उन्हें उनके प्रशंसनीय प्रदर्शन के बावजूद समर्थन नहीं मिला।
उन्होंने कहा, 'समर्थन को पाकर हमेशा अच्छा लगता है। मैं कहूंगा कि अगर मुझे सही समय पर समर्थन मिलता, तो मैं 500-550 विकेट के बाद बहुत पहले ही संन्यास ले लेता, क्योंकि जब मैं 400 विकेट के आंकड़े तक पहुंचा था, तब मैं 31 साल का था। अगर मैं 3-4 साल और खेलता तो मैं 500 विकेट तक पहुंच जाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।'
हरभजन सिंह ने आगे कहा, 'कई कारण थे और अगर मैं उन पर ध्यान दूं, तो हम शायद बहुत सी चीजें खो देंगे। मुझे 2001-02 के बाद कभी समर्थन की आवश्यकता महसूस नहीं हुई। 400 विकेट लेने के बाद मुझे समर्थन की जरूरत थी और अगर किसी खिलाड़ी को उस मुकाम तक पहुंचने के बाद इसकी जरूरत होती है, तो मुझे नहीं पता कि हम अपने खिलाड़ियों की देखभाल कैसे करते हैं। एक समय आता है जब आपको अपने खिलाड़ियों का सम्मान करने की आवश्यकता होती है, क्योंकि वे इसके लायक होते हैं। लेकिन यह निर्णय लोगों के एक निश्चित समूह के साथ है।