भारतीय टीम (Team India) में 2008 में डेब्यू करने वाले मनोज तिवारी (Manoj Tiwary) ने रणजी ट्रॉफी में लीग स्टेज के आखिरी मुकाबले में क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले लिया है। संन्यास लेते ही उन्होंने अपने कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) पर ही सवाल उठा दिए। मनोज तिवारी को दुख है कि वह लंबे समय तक भारतीय टीम के साथ नहीं खेल पाए।
तिवारी ने सभी फॉर्मेट से लिया संन्यास
मनोज तिवारी ने बिहार के खिलाफ अपना अंतिम मैच खेलकर क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लिया। संन्यास लेने के बाद तिवारी ने भारतीय पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे बड़े खिलाड़ियों को अपने लपेटे में लिया है। मनोज तिवारी ने भारत के लिए 12 वनडे मुकाबले में 287 रन बनाए। जिसमें वेस्टइंडीज के खिलाफ नाबाद 104 रनों की पारी खेलकर टीम को जीत दिलाई थी।
धोनी पर लगाया गंभीर आरोप
मनोज तिवारी ने कहा, "मैं एमएस धोनी से पूछना चाहूंगा कि 2011 में शतक बनाने के बाद मुझे एकादश से बाहर क्यों कर दिया गया था। मेरे अंदर रोहित शर्मा और विराट कोहली की तरह हीरो बनने की क्षमता थी। आज मैं कई लोगों को मौके मिलते हुए देख रहा हूं, मुझे दुख होता है"।
तिवारी ने कहा, मुझे सबसे ज्यादा दुख है कि मुझे भारत के लिए टेस्ट खेलने का मौका नहीं मिला। फर्स्ट क्लास में 65 मैच खेलने के बाद भी मेरा औसत लगभग 65 का था। फर्स्ट क्लास में 10 हजार रन बनाने के बाद भी टेस्ट नहीं खेलना अफसोस तो होता है।
रन बनाने के बाद भी नहीं मिला मौका
उन्होंने कहा कि जब ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत दौरा पर थी, तब एक फ्रेंडली मैच में 130 रन बनाए थे। मैनें इंग्लैंड के खिलाफ भी फ्रेंडली मैच में 93 रन बनाए थे। मैं चयन के बहुत करीब था लेकिन उन्होंने मेरी जगह युवराज सिंह को चुना। इसलिए मुझे टेस्ट टीम में शामिल नहीं किया गया। शतक बनाने के बाद 14 मैचों के लिए बाहर कर दिया गया। जब आपका आत्मविश्वास अपने चरम पर होता है तो कोई उसे तोड़ देता है और उस खिलाड़ी को मार डालता है।