हर क्रिकेटर के जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं, खासतौर पर खेल के मैदान से। अमूमन तो खिलाड़ी सकारात्मक ही रहते हैं लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि उनकी खराब फॉर्म या फिटनेस की चिंता उन्हें शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से अस्वस्थ कर देती है। पूर्व भारतीय क्रिकेटर रोबिन उथप्पा के साथ 2009 में हुए इंडियन टी-20 लीग सीजन के दौरान ऐसा ही हुआ था, जब बैंगलोर के उप-विजेता बनने के बावजूद वे डिप्रेशन के शिकार हो गए थे।
रोबिन उथप्पा हो गए थे डिप्रेशन के शिकार
भारत के पूर्व क्रिकेटर रोबिन उथप्पा ने इंडियन टी-20 लीग के पहले सीजन में मुंबई का प्रतिनिधित्व किया था। इसके बाद वे बैंगलोर ट्रांसफर कर दिए गए थे, जहां उथप्पा 2009 सीजन में 15 मैचों में 175 रन ही बना पाए थे। हालांकि, उनकी टीम ने जरूर फाइनल तक का सफर तय किया था लेकिन फिर भी वे डिप्रेशन का शिकार हो गए थे जिसका खुलासा रविचंद्रन अश्विन के यूट्यूब चैनल पर किया।
उथप्पा ने कहा, "मैं अपने निजी जीवन में कुछ कर रहा था और बैंगलोर के साथ अपने पहले सीजन के दौरान मैं पूरी तरह से दबाव में था। मैंने उस सीजन एक भी मुकाबले में अच्छा नहीं खेला था। एकमात्र मैच जिसमें मैंने अच्छा प्रदर्शन किया, वह तब था जब मुझे निकालकर फिर से चुना गया। मैंने यह सोचकर खेला कि मुझे वास्तव में इस मैच में कुछ करने की जरूरत है।"
इसके अलावा उन्होंने बताया कि जब इस लीग का आगाज हुआ था तो पहले सीजन में सभी बस इसमें खुद को ढालने की कोशिश कर रहे थे। रोबिन ने यह भी कहा कि 2009 में वे, मनीष पांडे और जहीर खान सबसे पहले ट्रांसफर होने वाले खिलाड़ियों में से एक थे। उन्होंने कहा, "मेरे लिए यह बेहद मुश्किल हो गया क्योंकि उस समय मुंबई के साथ मेरी वफादारी पूरी तरह से थी।"
हालांकि, 2010 में उथप्पा ने 16 मुकाबलों में 31.16 की औसत व 171.55 के बेमिसाल स्ट्राइक रेट से खेलते हुए 374 रन बनाकर भरपाई कर दी थी। फिर 2011 में वे पुणे टीम से जुड़े और 2012 में कोलकाता ने उन्हें खरीद लिया जहां वे दो बार इंडियन टी-20 लीग खिताब भी जीतने में सफल रहे। फिलहाल, रोबिन उथप्पा चेन्नई टीम का हिस्सा हैं और इस साल उन्होंने अच्छी शुरुआत की है।