मोहम्मद शमी की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, गिरफ्तारी वारंट के लिए वाइफ ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख

न्यूज एजेंसी ANI की एक रिपोर्ट के अनुसार मोहम्मद शमी की वाइफ हसीन जहां ने न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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Manoj Kumar
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2 मई को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में दिल्ली कैपिटल्स और गुजरात टाइटन्स के बीच मुकाबला खेला गया था। लो स्कोरिंग इस मैच में दिल्ली ने शानदार गेंदबाजी करते हुए 130 रन डिफ़ेंड किए। इस मुकाबले में गुजरात की ओर से मोहम्मद शमी में अपनी गेंदबाजी से कहर बरपाते हुए दिल्ली की बल्लेबाजी लाइनअप की कमर तोड़ दी थी।

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शमी ने शानदार गेंदबाजी करते हुए 4 ओवरों में 11 रन देकर 4 विकेट झटके थे। उनके इस शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया था। हालांकि,  शमी गृहस्थ जीवन की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं।

शमी की वाइफ ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

न्यूज एजेंसी ANI की एक रिपोर्ट के अनुसार मोहम्मद शमी की वाइफ हसीन जहां ने न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बता दें कि कोलकाता हाईकोर्ट ने हसीन जहां के पति मोहम्मद शमी के गिरफ्तारी वारंट पर रोक हटाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया।

गौरतलब हैं कि हसीन जहां द्वारा दायर याचिका में अदालत को सूचित किया गया कि 29 अगस्त 2019 को अलीपुर के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा शमी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था। जिसके बाद मोहम्मद शमी ने सेशन कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी, जिसने 9 सितंबर को 2019 को गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगा दी थी।

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इसके बाद शमी की वाइफ हसीन जहां मामले को कोलकाता हाईकोर्ट तक लेकर गई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने भी 28 मार्च को उनकी याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद हसीन जहां ने अब हाईकोर्ट को चैलेंज देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

वाइफ ने गेंदबाज पर लगाए गंभीर आरोप

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में हसीन जहां ने शमी पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। याचिका में लगाए आरोपों के अनुसार मोहम्मद शमी वाइफ को दहेज के लिए प्रताड़ित करते थे, साथ ही किसी दूसरी औरत के साथ गेंदबाज के नाजायज संबंध की भी बात याचिका में की गई है।

न्यूज एजेंसी ANI की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में गेंदबाज की ट्रायल पिछले 4 सालों से रुकी हुई है, जबकि शमी की ओर से मुकदमे पर रोक लगाने की कोई भी शिकायत नहीं की गई थी। सेशन कोर्ट ने गलत और पक्षपातपूर्ण तरीके से काम किया, जिसके कारण याचिकाकर्ता के अधिकार और हितों को गंभीर रूप से खतरे में डाला गया।

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