लंका प्रीमियर लीग का आगामी सीजन 1 अगस्त से शुरू होने वाला था, लेकिन देश में आर्थिक संकट को देखते हुए श्रीलंका क्रिकेट ने इसे स्थगित करने का फैसला किया है। बोर्ड ने इसकी पुष्टि रविवार 17 जुलाई को की। एसएलसी ने कहा कि टूर्नामेंट के राइट होल्डर्स, इनोवेटिव प्रोडक्शन ग्रुप एफजेडई के अनुरोध पर यह निर्णय लिया गया।
एसएलसी के बयान में कहा गया कि, 'टूर्नामेंट के राइट होल्डर्स, इनोवेटिव प्रोडक्शन ग्रुप एफजेडई (IPG) द्वारा किए गए अनुरोध के बाद एसएलसी द्वारा यह फैसला लिया गया है, जिसमें देश में मौजूदा आर्थिक स्थिति का हवाला दिया गया था, जो टूर्नामेंट के मेजबानी के लिए अनुकूल नहीं था। बता दें कि हाल ही में लंका प्रीमियर लीग 2022 के टीम और शेड्यूल की घोषणा की गई थी।
'यह राजनीतिक संघर्ष की एक बड़ी जीत'
इससे पहले श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे प्रदर्शनकारियों के पहुंचने से कुछ देर पहले ही अपना घर छोड़ दिए। नाम न छापने के अनुरोध पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राजपक्षे वर्तमान में सुरक्षित स्थान पर सेना के संरक्षण में हैं। राजनीतिक विशेषज्ञ जयदेव उयंगोडा ने द हिंदू को बताया, 'यह राजनीतिक संघर्ष की एक बड़ी जीत है, क्योंकि यहां तक कि राजनीतिक पार्टियों के लिए भी राजपक्षे को हटाना बहुत मुश्किल हो गया।'
उन्होंने आगे कहा कि यह जनता के सीधे एक्शन का परिणाम है और यह राजनीतिक दलों के दायरे से बाहर है। अन्य संदर्भों में केवल एक खूनी क्रांति ने ही इसे हासिल किया होगा।' उयंगोडा ने कहा कि, 'लोगों को एक नई संसद चुनने की अनुमति दी जानी चाहिए, जो राष्ट्रपति प्रणाली को खत्म करने और लोकतंत्र को बहाल करने के लिए संविधान को बदल सकती है। यह सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता है।'
उन्होंने कहा कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि एक अंतरिम या नव निर्वाचित सरकार देश में आर्थिक संकट को कम समय में हल कर सकती है। उन्होंने ग्रीस, इटली, अर्जेंटीना, जाम्बिया और लेबनान में पिछली स्थितियों का उदाहरण दिया।