मध्यप्रदेश ने शनिवार को रणजी ट्रॉफी के पहले सेमीफाइनल में बंगाल को 174 रनों से हराकर 23 साल बाद फाइनल में जगह बनाई है। कुमार कार्तिकेय और हिमांशु मंत्री के शानदार प्रदर्शन ने मध्य प्रदेश की जीत में अहम भूमिका निभाई। इससे पहले मध्य प्रदेश की टीम 1999 में रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंची थी, जहां उसका मुकाबला कर्नाटक से हुआ था और उसे हार मिली थी।
मध्यप्रदेश ने बंगाल को 350 रनों का लक्ष्य दिया, जिसके जवाब में बंगाल की पूरी टीम 65.2 ओवर में 175 रन पर सिमट गई। इसमें कुमार कार्तिकेय का बड़ा योगदान रहा। उन्होंने 67 रन देकर 5 बल्लेबाजों का शिकार किया। बंगाल के लिए दूसरी पारी में अभिमन्यु ईश्वरन ने अकेले संघर्ष किया और 157 गेंदों में 78 रनों की पारी खेली।
दूसरा बेस्ट स्कोर शाहबाज अहमद का था, जिन्होंने 22 रन बनाए थे, वहीं आकाश दीप ने 20 रनों का योगदान दिया। अब मध्य प्रदेश की टीम फाइनल मुकाबले में बैंगलोर के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में मुंबई से भिड़ेगी।
350 रन के टारगेट के सामने बंगाल 175 पर ढेर
इससे पहले मध्यप्रदेश ने पहले बल्लेबाजी करते हुए हिमांशु मंत्री के शानदार 165 रनों की पारी की बदौलत 341 रन बनाए। इसके जवाब में मनोज तिवारी और शाहबाज अहमद के शतक की मदद से बंगाल ने 273 रन बनाए। इस प्रकार मध्यप्रदेश को पहली पारी के आधार पर 68 रनों की बढ़त मिली। दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने उतरी मध्यप्रदेश की टीम सिर्फ 281 रन पर ढेर हो गई।
बंगाल को जीत के लिए 350 रनों का लक्ष्य मिला। मध्यप्रदेश के लिए दूसरी पारी में आदित्य श्रीवास्तव और रजत पाटीदार ने अर्धशतकीय पारियां खेली। लक्ष्य का पीछा करने के दौरान मध्यप्रदेश की घातक गेंदबाजी के आगे बंगाल की पूरी टीम सिर्फ 175 रन पर सिमट गई। हिमांशु मंत्री को प्लेयर ऑफ द मैच घोषित किया गया।
दूसरी तरफ मुंबई और उत्तर प्रदेश के बीच खेला गया दूसरा सेमीफाइनल मुकाबला ड्रॉ पर समाप्त हुआ।