विराट कोहली के डिप्रेशन को लेकर उनके मैनेजर बंटी सजदेह ने कह दी ये बात

विराट एक ऐसे इंसान है, जो कभी भी अकेला महसूस नहीं करेंगे, जब वह उन लोगों के आस-पास होंगे जो उन्हें प्यार करते हैं और उनका समर्थन करते हैं।

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Manoj Kumar
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Virat Kohli

Virat Kohli (BCCI/Twitter)

विराट कोहली का खराब फॉर्म किसी से छुपा नहीं रहा है और टीम में पूर्व भारतीय कप्तान की टीम में जगह पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। भारतीय स्टार बल्लेबाज कोहली ने हाल ही में सोशल मीडिया में बवाल खड़ा कर दिया था जब उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को बताते हुए कहा  था कि वह लोगों से भरे कमरे में भी अकेलापन महसूस करते हैं। इसपर उनके मैनेजर बंटी सजदेह ने कोहली के दावों का जवाब देते हुए कहा है कि उन्हें अपनी ताकत उन लोगों से घिरे रहने से भी मिलती है जो उनसे प्यार करते हैं।

कोहली को  शतक लगाए हो चुके हैं 1000 दिन से ज्यादा

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पूर्व भारतीय कप्तान पर राष्ट्रीय टीम के लिए अपना फॉर्म फिर से हासिल करने का जबरदस्त दबाव है और उन्होंने 1000 दिन से ज्यादा हो चुके हैं जब उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारतीय टीम के लिए आखिरी बार शतक बनाया था। लेकिन कोहली के मैनेजर ने हालिया इंटरव्यू कहा कि प्रत्येक एथलीट अपने करियर के दौरान किसी न किसी दौर से गुजरता है और कोहली उसी के बीच में है।

डिप्रेशन पर कोहली की टिप्पणी पर उन्होंने कहा कि अनुभवी क्रिकेटर उस शब्द से पूरी तरह वाकिफ हैं और इसका इस्तेमाल मजाक-मजाक में नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कोहली कभी भी अकेला महसूस नहीं करेंगे जब वह उन लोगों के आसपास होंगे जो उन्हें प्यार करते हैं और उनका समर्थन करते हैं।

बंटी सजदेह का बयान

द टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में बंटी सजदेह ने कहा कि, "डिप्रेशन जैसी गंभीर स्थिति के बारे में किस तरह बात करना चाहिए, विराट अच्छी तरह से समझते हैं। उन्होंने उच्चतम स्तर पर क्रिकेट खेलते हुए जिन मानसिक चुनौतियों का सामना करना होता है, उस पर खुलकर बात की है, और वह उन्हें स्वीकार करने से कतरा भी नहीं रहे हैं। विराट ने यह भी बताया कि उन्होंने अपने करियर में केवल एक निश्चित चरण में मानसिक चुनौतियों का अनुभव किया है।"

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विराट एक ऐसे इंसान है, जो कभी भी अकेला महसूस नहीं करेंगे, जब वह उन लोगों के आस-पास होंगे जो उन्हें प्यार करते हैं और उनका समर्थन करते हैं। यहीं से उन्हें मानसिक मजबूती मिलती है। प्रत्येक शीर्ष एथलीट को उन दबावों और अपेक्षाओं से निपटने की मानसिक चुनौतियों से गुजरना होता है। डिप्रेशन इतना बड़ा और महत्वपूर्ण शब्द है कि इसे इतने ढीले ढंग से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।”

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