इंग्लैंड के खिलाफ भारत के सीरीज जीतने के पीछे भारतीय टीम में सबसे बड़ा योगदान ऋषभ पंत का रहा है। पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर का भी मानना है कि ऋषभ पंत ने अपनी गलतियों में सुधार किया है और अपनी गलतियों से सीख कर एक जिम्मेदारी से बल्लेबाजी करना शुरू किया है। पंत ने मैनचेस्टर में इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला वनडे शतक बनाया और तीसरे वनडे मैच में भारत को तीन मैचों की सीरीज में 2-1 से जीतने में मदद की।
पंत और हार्दिक ने भारत को सीरीज दिलाने में बड़ा योगदान दिया
तीनों फॉर्मेट को मिलाकर भारत के लिए साल 2022 में सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी ऋषभ पंत ही हैं जिन्होंने अब तक 988 रन बनाए है और वह 1000 रनों के बेहद नजदीक हैं। पंत ने आखरी वनडे मुकाबले में हार्दिक पांड्या के साथ मिलकर 133 रन की साझेदारी की। भारत 72/4 के स्कोर पर था जब दोनों खिलाड़ियों ने इंग्लैंड के गेंदबाजों के नाक में दम करना शुरू किया। पांड्या 71 रन बनाकर आउट हो गए, वहीं पंत ने बड़े शॉट खेलना जारी रखा और शतक लगाकर टीम को सीरीज में जीत दिलवाई।
गावस्कर ने स्पोर्ट्स तक से बातचीत में कहा कि, "ऋषभ पंत ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ हुई अपनी गलतियों से बहुत कुछ सीखा है। उन्होंने जिम्मेदारी के साथ बल्लेबाजी की है, और अपनी पारी को अच्छी तरह से गति दी। जिस तरह से उन्होंने अंत तक बाउंड्री मारी, उससे पता चला कि अब वह ऐसे खिलाड़ी बन गए हैं जो दबाव झेल सकता है और फिर गेंदबाजों पर आक्रमण कर सकता है।"
पंत ने वनडे में शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन वह टी-20 में लय नहीं बना पाए। उन्होंने साउथ अफ्रीका के खिलाफ पांच मैचों की सीरीज में भारत का नेतृत्व किया था जो 2-2 से समाप्त हुई। लेकिन पंत सीरीज में अच्छी पारी नहीं खेल पाए। इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 सीरीज में भी ऐसा ही था, वह अपने फॉर्म में नहीं आ पाए।
गावस्कर ने कहा कि, "हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा की क्या पंत टी-20 में फॉर्म बरकरार रख सकते है। हो सकता है कि पंत लिमिटेड ओवर्स के क्रिकेट के लिए कोई रास्ता निकाल सकें।"
पंत पर हमें भरोसा जताने की जरूरत है: सुनील गावस्कर
उन्होंने कहा कि, "टी-20 मैचों में आपको तीसरे गियर से खेलना शुरू करना होता है और पांचवें गियर में जाना होता है, इसलिए यह वनडे मैचों से बहुत अलग है। हमें पंत पर भरोसा जताने और उनके साथ धैर्य रखने की जरूरत है। अगर वो सेट हो गए तो हमें मैच जीता देंगे। कभी- कभी उन्हें असफलताएं भी होंगी लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उन्होंने चार साल पहले ही टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था। वह सिर्फ 24 साल के हैं और इस उम्र में बल्लेबाजों को शॉट खेलने की जल्दी रहती है।"