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संजय मांजरेकर ने भारत के तेज गेंदबाजी की तुलना पाकिस्तान के ऐतिहासिक पेस अटैक से की, बोले- भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छे संकेत

संजय मांजरेकर ने कहा कि भारत ज्यादातर विदेश में अपने दबदबे वाले गेंदबाजी आक्रमण के कारण जीतने में सफल रहा है।

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Justin Joseph
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Sanjay Manjrekar

Sanjay Manjrekar (Photo Source: Twitter)

भारत के पूर्व क्रिकेटर संजय मांजरेकर ने टीम इंडिया के मौजूदा तेज गेंदबाजी आक्रमण, जिसमें जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज और मोहम्मद शमी शामिल हैं, की तुलना पाकिस्तान के ऐतिहासिक तेज गेंदबाजी आक्रमण से की है। मांजरेकर ने कहा कि भारत ज्यादातर विदेश में अपने दबदबे वाले गेंदबाजी आक्रमण के कारण सफल रहा है।

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सेंचुरियन टेस्ट में इन गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन के दम पर भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 113 रनों से हराकर टेस्ट सीरीज में 1-0 की बढ़त बनाई। मैच में हालांकि केएल राहुल को प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार मिला, लेकिन तेज गेंदबाजों ने अफ्रीकी बल्लेबाजों पर लगाम लगाई़। मोहम्मद शमी ने मैच में आठ विकेट लिए थे, जिसमें पहली पारी में पांच विकेट भी शामिल थे।

भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छे संकेत

संजय मांजरेकर ने कहा कि भारतीय टीम के लिए हाल के 5-6 वर्षों में चीजें बदल गई हैं, जो भारत के लिए एक दुर्लभ उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भारत को विदेशों में सफलता इसलिए मिलती है, क्योंकि उसके पास तीन विश्व स्तरीय गेंदबाज हैं। भारतीय टीम के जीत में इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है।

उन्होंने कहा कि अगर आप टेस्ट क्रिकेट के इतिहास को देखें तो पहले जब पाकिस्तान अपने देश के बाहर जीतता था, तो उसके पास भी 3 विश्व स्तरीय गेंदबाज थे और अब भारत भी ऐसी स्थिती में है। ये भारतीय क्रिकेट के लिए बहुत अच्छे संकेत हैं। उन्होंने कहा कि 2000 के दशक की शुरुआत में पाकिस्तान के पास वसीम अकरम, वकार यूनिस और शोएब अख्तर के रूप में घातक तेज आक्रमण था। तीनों गेंदबाज गेंद को सीम के साथ स्विंग कराने के लिए जाने जाते थे।

मांजरेकर ने यह भी कहा कि हनुमा विहारी और श्रेयस अय्यर जैसे खिलाड़ियों को अपनी काबिलियत साबित करने के लिए कुछ और मौके मिलने चाहिए। उन्होंने कहा, 'टीम प्रबंधन रहाणे का समर्थन कर रहा है। भारत ने पहला टेस्ट जीता है और रहाणे ने पहली पारी में भी 48 रन बनाए हैं। इसलिए उन्हें एक और मौका मिल सकता है, लेकिन प्रबंधन को विहारी और श्रेयस अय्यर के बारे में भी सोचना चाहिए। रहाणे को जितने अधिक मौके मिलेंगे, दूसरे लोगों के पास उतने ही कम मौके होंगे। इसलिए इस पर चर्चा करने की जरूरत है।'

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