श्रीलंका क्रिकेट टीम को साल के शुरुआत में ही दो बड़े झटके लगे। पहले भानुका राजपक्षे ने संन्यास लेने का ऐलान किया और अब दनुष्का गुनाथिलका ने अचानक से टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला किया है। ऐसे में श्रीलंका क्रिकेट भविष्य में संन्यास लेने का इरादा रखने वालों और संन्यास ले चुके खिलाड़ियों के लिए तीन कड़े नियम बनाए हैं। बोर्ड के मीडिया विज्ञप्ति में यह भी बताया गया है कि ये नियम तुरंत प्रभाव से लागू होंगे।
श्रीलंका क्रिकेट द्वारा लिए गए तीन निर्णय इस प्रकार है-
नये नियम के अनुसार, जो भी खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला करना चाहते हैं, तो पहले उन्हें बोर्ड को तीन महीने का नोटिस देना होगा।
दूसरे नियम के अनुसार, जो खिलाड़ी संन्यास ले चुके हैं और विदेशी फ्रेंचाइजी लीग में खेलना चाहते हैं तो उन्हें उन्हें अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) संन्यास लेने के 6 महीने बाद मिलेंगे।
तीसरा फरमान यह है कि रिटायर राष्ट्रीय खिलाड़ियों को स्थानीय लीग जैसे एलपीएल के लिए योग्य माना जाएगा, अगर उन्होंने लीग के आयोजन से पहले सीजन में आयोजित घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट में 80% मैच खेले हैं।
राजपक्षे और गुनाथिलका ने अचानक लिया फैसला
भानुका राजपक्षे ने 5 जनवरी को 30 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की। उन्होंने श्रीलंका क्रिकेट को एक पत्र सौंपा, जिसमें बताया कि वह पारिवारिक दायित्वों के कारण ऐसा फैसला ले रहे हैं। बता दें कि राजपक्षे अंडर -19 विश्व कप 2010 में श्रीलंका के लिए सर्वाधिक रन बनाने वाले थे, लेकिन उन्हें श्रीलंका टीम के लिए खेलने के लिए दस साल का इंतजार करना पड़ा। उन्होंने अक्टूबर 2019 में टी-20 अंतरराष्ट्रीय में डेब्यू किया, जबकि जुलाई 2021 में वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया।
इसके अलावा श्रीलंका के एक अन्य बल्लेबाज गुनाथिलका ने 7 जनवरी को सीमित ओवरों के क्रिकेट में फोकस करने के लिए टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया। गुनाथिलका उन तीन खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन्हें श्रीलंका क्रिकेट ने बायो बबल तोड़ने का दोषी पाए जाने के बाद एक साल के लिए निलंबित कर दिया था। श्रीलंका क्रिकेट ने उनके संन्यास की घोषणा से एक दिन पहले प्रतिबंध हटाया।