भारत और इंग्लैंड के बीच पांचवें टेस्ट मैच को इंग्लैंड ने 7 विकेट से जीत लिया। भारत टॉप ऑर्डर की बल्लेबाजी ने इस बार सभी को निराश किया, यहाँ तक की भारत के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने भी इस बात पर अफसोस जताया है। वहीं ऋषभ पंत और जडेजा ने टीम की नैया डूबने से बचाई थी। जडेजा एक छोर को संभाल कर खड़े थे और पंत का साथ दे रहे थे और दूसरी तरफ पंत अपने बल्ले से आग बरसा रहे थे। पंत ने इंग्लैंड के गेंदबाजों की धज्जियां उड़ा दी थी। जिसके बाद हर कोई उनकी सराहना करते थक नहीं रहा।
इंग्लैंड के साथ टेस्ट के बाद चमक गए हैं पंत
इंग्लैंड के साथ टेस्ट मैच के बाद पंत टेस्ट क्रिकेट में चमक गए हैं और उन्होंने अपने करियर में एक महत्वपूर्ण छलांग लगाई है। पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने लिमिटेड ओवर्स की सीरीज के लिए पंत की क्षमताओं का उपयोग करने और बल्लेबाजी की स्थिति में बदलाव का सुझाव दिया है।
पंत टेस्ट मैच से पहले अपने फॉर्म से जूझ रहे थे और टीम प्रबंधन को उनपर उम्मीद नहीं थी लेकिन उन्होंने सभी को गलत साबित कर प्रमुख खिलाड़ियों से ज्यादा अहम योगदान दिया। पंत ने पहली पारी में 89 गेंदों में शतक जड़ा और दूसरी पारी में अर्धशतक बनाया। 24 साल के पंत ने टेस्ट मे 5 शतक अपने नाम किए हैं वहीं किसी भारतीय विकेटकीपर के पास 1 से ज्यादा शतक नहीं।
सुनील गावस्कर ने एडम गिलक्रिस्ट से की पंत की तुलना
सुनील गावस्कर ने पंत के प्रदर्शन की तारीफ करते हुए उनकी तुलना ऑस्ट्रेलिया के महान खिलाड़ी एडम गिलक्रिस्ट से की है। सुनील गावस्कर ने पंत को टॉप ऑर्डर पर बल्लेबाजी देने के लिए मांग किया है जैसा एडम गिलक्रिस्ट के साथ हुआ था। उन्होंने स्पोर्ट्स टुडे से बातचीत में कहा कि, "आप एडम गिलक्रिस्ट को देखिए, उन्हें टेस्ट मैचों में 6-7 नंबर की बैटिंग दी जाती थी लेकिन जैसे ही उन्हें लिमिटेड ओवर्स में ओपनिंग दी गई उन्होंने तबाही मचा दी। ऋषभ पंत भी कुछ उनके तरह ही विस्फोटक बल्लेबाज हैं जो ओपनिंग में कमाल कर सकते हैं।
महेंद्र सिंह धोनी के बाद से पंत को फिनिशर के तौर पर टीम में देखा जा रहा है। जहां पंत टेस्ट में धूम मचा रहे दूसरी ओर वह लिमिटेड ओवर्स में अपने फॉर्म के लिए साउथ अफ्रीका के खिलाफ संघर्ष करते दिखे थे।
इसपर सुनील गावस्कर ने कहा कि, "हम एक फिनिशर के रूप में पंत को भेजते हैं और वह आते ही गेंद को मारना शुरू कर देता है और सीधे आउट हो जाता है। अगर नंबर1 पर भेजे तो उसे इस बात का अहसास होगा कि उसे पहली गेंद से ही धमाकेदार शुरुआत नहीं करनी है। उसके पास गति और परिस्थितियों को समझने का समय होगा।"