सैयद किरमानी का छलका दर्द, बोले- मेरी ही तरह रिद्धिमान साहा भी हुए अन्याय के शिकार

सैयद किरमानी ने कहा देश के अच्छे विकेटकीपर-बल्लेबाज होने के बावजूद साहा को टीम से बाहर रखना अनुचित है और वह भी मेरी तरह अन्याय के शिकार हुए।

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Justin Joseph
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Wriddhiman Saha (Image source: Twitter)

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श्रीलंका के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज के लिए भारतीय टीम से रिद्धिमान साहा को बाहर करने के मामले में अब पूर्व भारतीय क्रिकेटर सैयद किरमानी भी कूद पड़े हैं। उन्होंने कहा कि देश के अच्छे विकेटकीपर-बल्लेबाज होने के बावजूद साहा को टीम से बाहर रखना अनुचित है और वह भी मेरी तरह अन्याय के शिकार हुए हैं।

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टीम से बाहर होने के बाद रिद्धिमान साहा ने खुलासा किया कि इंटरव्यू न देने के कारण एक पत्रकार ने उनको धमकी दी। वहीं उन्होंने पत्रकार का नाम बताने से इनकार कर दिया। इसके अलावा उन्होंने दावा किया कि मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने उन्हें संन्यास लेने के बारे में सुझाव दिया। साहा ने यह भी दावा किया कि बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने उन्हें टीम में जगह देने का आश्वासन दिया।

दरअसल चेतन शर्मा की अगुवाई वाली चयन कमेटी चाहती थी कि रिद्धिमान साहा रणजी ट्रॉफी खेले और केएस भरत को भारत के लिए बैकअप विकेटकीपर के रूप में तैयार किया जा रहा है। हालांकि साहा ने शिकायत की थी कि वह अभी भी फिट है और सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपरों में से एक हैं। उन्होंने भारत के लिए अपने आखिरी पारी में नाबाद 61 रन बनाए थे।

'मेरी तरह साहा को बाहर कर दिया गया'

सैयद किरमानी ने रिद्धिमान साहा का सपोर्ट करते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि वर्तमान में साहा भारत के तकनीकी रूप से सबसे मजबूत विकेटकीपर हैं। लेकिन चयन कमेटी और टीम प्रबंधन कुछ और सोच रही है। दुर्भाग्य से साहा के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा है। उन्होंने कहा कि उन्हें भी टीम से ड्रॉप किया गया था और सचिन तेंदुलकर का उदाहरण दिया जो उसी स्थान पर थे। उन्होंने कहा कि केवल क्रिकेटरों के बारे में ही नहीं, बल्कि प्रशासकों के बारे में भी बात की जानी चाहिए।

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उन्होंने आगे कहा कि उम्र फैक्टर लंबे समय से रहा है। उन्होंने सचिन तेंदुलकर को भी नहीं बख्शा, है ना? मेरा मानना है कि एक खिलाड़ी तीस साल की उम्र में मैच्योर होता है और तब सीखने की प्रक्रिया में होता है। मेरी तरह ही, साहा को भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया, जब वह अपने करियर के चरम पर हैं। और हम केवल क्रिकेटरों के बारे में ही क्यों बात कर रहे हैं? प्रशासकों के बारे में क्या?

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