कोलकाता नाइट राइडर्स आईपीएल 2021 के पहले चरण में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद यूएई चरण में काफी बदली हुई नजर आई और टीम ने फाइनल तक का सफर तय किया। केकेआर के फाइनल तक पहुंचने में वेंकटेश अय्यर ने प्रमुख भूमिका निभाई। हालांकि, केकेआर फाइनल में चेन्नई सुपर किंग्स से हार गई, लेकिन वेंकटेश ने अपनी आक्रामक पारी से सबका दिल जीता। आईपीएल 2021 के पहले चरण में मौका न मिलने के बाद यूएई चरण में केकेआर के पहले मैच में वेंकटेश अय्यर ने आईपीएल में डेब्यू किया और टूर्नामेंट में 10 मैचों में 41.11 की शानदार औसत से 370 रन बनाये।
ड्रीम आईपीएल डेब्यू पर बोले वेंकटेश अय्यर
आईपीएल में अपने ड्रीम डेब्यू के बारे में बात करते हुए वेंकटेश अय्यर ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरा सफर ऐसा रहेगा। अगर मैं अच्छा नहीं खेलता तो भी मुझे आनंद आता, क्योंकि मैंने खुद से कहा था कि यह मेरा पहला आईपीएल सीजन है और अपने प्रदर्शन को नहीं देखूंगा। इसके बजाय मैं कैसे यहां तक पहुंचा उस प्रक्रिया को महत्व दूंगा। मुझे उम्मीद नहीं थी कि मैं इतने रन बनाऊंगा। मैं तो बस आनंद लेना चाहता था।
आईपीएल के फाइनल में केकेआर को जीत के लिए 193 रनों का पीछा करना था। वेंकटेश अय्यर ने सीजन का अपना चौथा अर्धशतक लगाते हुए टीम को अच्छी शुरुआत दी। हालांकि, 50 रन बनाने के बाद अय्यर आउट हो गये और इसके बाद केकेआर उबर नहीं सका।
मैच खत्म नहीं करने पर निराशा व्यक्त की
अय्यर ने फाइनल में टीम के लिए मैच खत्म नहीं करने पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि एक सेट बल्लेबाज के रूप में मुझे मैच को समाप्त करना चाहिए था। यह एक सामान्य खिलाड़ी और एक असाधारण खिलाड़ी के बीच मुख्य अंतर है। असाधारण खिलाड़ी हमेशा खेल खत्म करते हैं। मैं अब भी सोच रहा हूं कि मुझे फाइनल में मैच को अंत तक ले जाना चाहिए था। इससे पहले अय्यर ने क्वालीफायर-2 में दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ भी अर्धशतक लगाया था, लेकिन डेथ ओवरों से पहले आउट हो गए।
क्रिकेट के लिए प्रेरित करना मुश्किल था
वेंकटेश ने कहा कि शुरुआत में उनके पैरेंट्स के लिए उन्हें क्रिकेट के लिए प्रेरित करना मुश्किल था, क्योंकि दक्षिण भारतीय परिवारों में लड़के केवल अपनी पढ़ाई पर फोकस करते हैं। लेकिन अब मेरे परिवार के लिए चीजें बदल गई हैं। मेरे रिश्तेदार खुश हैं। माता-पिता के चेहरे पर मुस्कान है, जिससे मुझे बहुत खुशी मिलती है।
उन्होंने कहा कि पैरेंट्स को शुरु में आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा, क्योंकि भारत में क्रिकेट महंगा है। उन्होंने कड़ी मेहनत की। उम्मीदें बहुत ज्यादा थीं और रिश्तेदार को जल्दी से परिणाम चाहिए थे, लेकिन मेरे पैरेंट्स ने इन चीजों के दबाव से मुझे दूर रखा।