भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली का कहना है कि उन्होंने अपने पूरे करियर में मानसिक स्वास्थ्य के साथ संघर्ष किया है। कोहली ने एक अंग्रेजी समाचार-पत्र को दिये इंटरव्यू में बताया कि उनके करियर के दबाव ने कई बार उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाला। दरअसल, कोहली जब भारत के कप्तान थे तो टीम या खुद के के खराब प्रदर्शन पर कोहली को बुरा भला कहा जाता था।
खराब फॉर्म से जूझ रहे कोहली
33 वर्षीय कोहली क्रिकेट में आक्रामकता और कौशल भरी बल्लेबाजी के लिए जानें जाते हैं। लेकिन कुछ सालों से भारतीय टीम के इस सीनियर और स्टार बल्लेबाज को उनके खराब फॉर्म के कारण आलोचकों का सामना करना पड़ रहा है। उनके बल्ले से साल 2019 से एक भी शतक नहीं आया है जो उनके लिए और उनके फैंस के लिए यह चिंता का विषय है।
कोहली ने इंग्लैंड दौरे पर भी निराश किया और पांचवें पुनर्निर्धारित टेस्ट मैच की दो पारियों में सिर्फ 31 रन बनाए थे। 3 मैचों की टी-20 सीरीज में कोहली ने सिर्फ 12 रन बनाए थे और वनडे सीरीज में 2 मैचों में कोहली के सिर्फ 33 रन थे। इंग्लैंड में खराब फॉर्म में रहने के बाद कोहली ने खुद को आराम दिया था।
ट्रेनिंग में बहा रहे पसीना
27 अगस्त से शुरू होने वाले एशिया कप के लिए कोहली जमकर तैयारी कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से, कोहली अपनी इंडियन टी-20 टीम, रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के कोच संजय बांगर के साथ बीकेसी में मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन की इंडोर क्रिकेट एकेडमी में ट्रेनिंग ले रहे हैं।
कोहली हो चुके हैं डिप्रेशन का शिकार
कोहली ने द इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया कि उनके करियर के दबाव ने कई बार उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।
उन्होंने कहा, "मैंने व्यक्तिगत रूप से ऐसे समय का अनुभव किया है जब मैं समर्थन और प्यार करने वाले लोगों से भरे कमरे में भी, खुद को अकेला महसूस करता था, और मुझे यकीन है कि यह एक ऐसी चीज है. जिसे काफी लोगों ने कभी न कभी महसूस किया होगा।"
उन्होंने कहा, "यह निश्चित रूप से एक गंभीर मुद्दा है और जितना हम हर समय मजबूत रहने की कोशिश करते हैं, यह आपको उतना ही कमजोर कर सकता है।"
कोहली ने कहा कि एथलीटों के लिए आराम करना और खेल के दबाव से उबरना और फिर अपने मूल से जुड़ना महत्वपूर्ण है।