बैंगलोर के पूर्व कप्तान विराट कोहली ने केएल राहुल और युजवेंद्र चहल के इंडियन टी-20 लीग ट्रांसफार्मेशन को सर्वर्श्रेठ करार दिया है। 2021 संस्करण के बाद बैंगलोर की कप्तानी छोड़ने वाले कोहली के नेतृत्व में केएल राहुल और चहल दोनों ने खेला है। उन्होंने बताया कि कैसे केएल राहुल ने, जिन्हें कभी भी टी-20 स्पेशलिस्ट के रूप में नहीं देखा था, लीग में खुद को बदल दिया।
केएल राहुल ने 2013 में बैंगलोर के साथ इंडियन टी-20 लीग में डेब्यू किया। हालांकि फिर 2016 में उन्हें दोबारा बैंगलोर का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। 2016 के सीजन में बैंगलोर जब फाइनल में पहुंचा था, राहुल ने 14 मैचों में 44.11 की औसत और 146.69 के स्ट्राइक रेट से 397 रन बनाकर सबका ध्यान खींचा था।
जबकि राहुल ने टूर्नामेंट का 2017 संस्करण नहीं खेला। उसके बाद लोकेश राहुल ने 2019 में 593 रन बनाए, जबकि अन्य वर्षों में उन्होंने 600 से अधिक रन बनाए, जिसमें उन्होंने 2020 में 670 रन बनाने के साथ ऑरेंज कैप जीता था। दूसरी ओर चहल ने मुंबई इंडियंस के साथ डेब्यू करने के बाद 2014 से 2021 के बीच बैंगलोर का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि, 2022 की मेगा नीलामी से पहले उन्हें फ्रेंचाइजी ने रिटेन नहीं किया गया और अब वह राजस्थान की ओर से खेलेंगे।
केएल राहुल 2013 में बैंगलोर से जुड़े थे
विराट कोहली ने आरसीबी पॉटकास्ट पर बातचीत करते हुए कहा कि सिर्फ दो लोग जो मेरे दिमाग में आते हैं, वे केएल राहुल और युजवेंद्र चहल हैं। केएल राहुल 2013 में करुण नायर मयंक अग्रवाल के साथ बैंगलोर में थे। वह टी-20 स्पेशलिस्ट के रूप में नहीं देखे जाते थे। वह 2015 में हैदराबाद का हिस्सा थे और अविनाश वैद्य पहले हमारे मैनेजर थे। उन्होंने मुझसे संपर्क किया, क्योंकि वह केएल राहुल के संपर्क में थे। उन्हें खेलने का ज्यादा मौका नहीं मिल रहा था और उन्हें मैंने भारत के लिए खेलते हुए देखा था।
कोहली ने कहा कि बैंगलोर छोड़ने के बाद राहुल को उन्होंने ज्यादा खेलते हुए नहीं देखा। लेकिन उन्होंने सुना था कि वह प्रथम श्रेणी क्रिकेट में अच्छा कर रहे थे। राहुल जब बैंगलोर में थे तो काफी यंग थे और वो पहले से ही भारत के लिए खेल रहे थे। हम नियमित रूप से बैंगलोर के लिए खेल रहे थे और इसलिए हम ज्यादा नहीं जुड़े थे।
केएल राहुल के हैदराबाद कार्यकाल के बारे में बात करते हुए विराट कोहली ने कहा कि उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिल रहे थे और जब उन्हें मौका मिल रहा था तो मैंने महसूस किया कि वह दबाव में खेल रहे थे ताकि खुद को साबित कर सके। जब मौका आया तो मैंने सोचा इस खिलाड़ी के पास अविश्वसनीय प्रतिभा है, तो अच्छा कर सकते हैं।