दुनिया के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले खेल फुटबॉल में कुछ ऐसी प्रतियोगिताएं और टूर्नामेंट हैं जिनका प्रशंसकों को बेसब्री से इंतजार रहता है। इनमें एक प्रतियोगिता यूएफा चैंपियंस लीग है जिसमें यूरोप के विभिन्न देशों की शीर्ष क्लब टीमें हिस्सा लेती हैं। कई दशकों से यह टूर्नामेंट आयोजित हो रहा है और फैंस के दिमाग में इसका फॉर्मेट रट चुका है। हालांकि, अब यूएफा ने चैंपियंस लीग के प्रारूप में बड़े बदलाव को मंजूरी दे दी है।
यूएफा चैंपियंस लीग के फॉर्मेट में हुए बदलाव, टीमों की संख्या बढ़ी
यूएफा ने मंगलवार को ऐलान किया कि 2024-25 सीजन से 32 की जगह 36 टीमें हिस्सा लेंगी। इसके अलावा ग्रुप स्टेज को हटाकर अब नॉकआउट के पहले का चरण लीग के तहत खेला जाएगा। इसको लेकर यूएफा ने कहा कि अब प्रत्येक टीम न्यूनतम आठ लीग मुकाबले खेलेगी, जो पहले छह ग्रुप मैच होते थे।
लीग में शीर्ष आठ टीमें नॉकआउट चरण के लिए स्वचालित रूप से क्वालीफाई कर लेंगी, जबकि नौवें से 24वें स्थान पर रहने वाली टीमें प्रतियोगिता के अंतिम-16 में अपना स्थान सुरक्षित करने के लिए दो लेग वाले प्लेऑफ में भाग लेंगी। चार नए स्थानों के लिए निम्न मापदंड तय किए गए हैं: यूएफा नेशनल एसोसिएशन रैंकिंग में पांचवें स्थान पर मौजूद एसोसिएशन की चैंपियनशिप में तीसरे स्थान पर रहने वाले क्लब को एक स्थान मिलेगा।
वहीं, 'चैंपियंस पाथ' के ज़रिए क्वालीफाई करने वाली टीमों की संख्या को चार से बढ़ाकर पांच करके एक स्थान घरेलू चैंपियन को दिया जाएगा। अंतिम दो स्थान पिछले सीज़न में अपने क्लबों द्वारा सर्वश्रेष्ठ सामूहिक प्रदर्शन के साथ संघों के पास जाएंगे (भाग लेने वाले क्लबों की संख्या से विभाजित प्राप्त अंकों की कुल संख्या)।
यूएफा ने कहा कि योग्यता प्रक्रिया तक पहुंच को समाप्त करने से घरेलू लीगों के संरक्षण में मदद मिलेगी। उसने दावा किया, "चैंपियंस लीग के लिए गुणवत्ता की पहुंच शुरू नहीं करने से खेल योग्यता के आधार पर खुली प्रतियोगिता को सुविधाजनक बनाने और घरेलू लीगों की रक्षा करने में मदद मिलेगी।"