हॉकी कोच संदीप सांगवान ने मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और द्रोणाचार्य अवॉर्ड 2021 से उनका नाम नदारद होने पर युवा मामले और खेल मंत्रालय के फैसले को रद्द करने की मांग की। जस्टिस रेखा पल्ली ने केंद्र को मामले का संज्ञान लेने को कहा, साथ ही उन्होंने 12 नवंबर को आगे की सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध किया है।
क्या है पूरा मामला?
संदीप सांगवान ने कहा है कि द्रोणाचार्य अवॉर्ड के लिए केंद्र ने उनकी अनदेखी की। उनका कहना है कि खेल पुरस्कार 2021 के लिए चयन समिति द्वारा मेधावी पाए जाने के बावजूद केंद्र द्वारा ऐसा किए जाने से वह नाराज हैं। सांगवान का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने बताया कि मंत्रालय के खेल और खेलों में उत्कृष्ट प्रशिक्षकों के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार योजना के संदर्भ में हॉकी के खेल के लिए सर्वोच्च अंक हासिल करने वाले सबसे मेधावी उम्मीदवार होने के बावजूद उनकी अनदेखी की गई।
केंद्र की इस मुद्दे पर राय
केंद्र का प्रतिनिधित्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा और स्टैंडिंग कॉउन्सिल अनिल सोनी ने किया। वहीं, अधिवक्ता आर अरुणाधरी अय्यर ने कहा, "याचिकाकर्ता को समझ आ गया है कि चार लोगों ने आवेदन किया था, जिसमें खुद आवेदक भी शामिल है। इसमें सांगवान ने अगले उम्मीदवार की तुलना में दोगुने से भी अधिक अंक हासिल किए थे।"
याचिकाकर्ता संदीप सांगवान ने कहा है कि वह हॉकी के लिए एक उच्च योग्य और अनुभवी कोच हैं, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक 2020 में कांस्य पदक प्राप्त करने वाली टीम के चार सदस्यों को प्रशिक्षित किया है। याचिका में कहा गया है कि 15 साल से अधिक समय तक कोच रहे सांगवान ने राष्ट्रीय पुरुष टीम के लिए कई मौकों पर कोच और मैनेजर के रूप में भी काम किया है।