भारतीय पुरुष हॉकी खिलाड़ी रुपिंदर पाल सिंह ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर संन्यास लेने की घोषणा की। रुपिंदर टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता पुरुष हॉकी टीम के सदस्य थे। उन्होंने भारतीय टीम के लिए अपने 13 साल लंबे करियर के दौरान 223 मैच खेले। वह अपने पावरफुल ड्रैग-फ्लिक के लिए जाने जाते हैं।
रुपिंदर ने ट्विटर पर लिखा, "पिछले कुछ महीने मेरे जीवन के सबसे अच्छे दिन थे। टोक्यो में अपने साथियों के साथ पोडियम पर खड़ा होना मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत पल था और मैं उसे कभी नहीं भूल पाऊंगा। अब समय आ गया है जब युवा और प्रतिभाशाली खिलाड़ियों उस आनंद की अनुभूति का अवसर दिया, जो मैंने पिछले 13 वर्षों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए महसूस किया है।"
यहां देखिए रुपिंदर पाल सिंह का ट्वीट:
Hi everyone, wanted to share an important announcement with you all. pic.twitter.com/CwLFQ0ZVvj
— Rupinder Pal Singh (@rupinderbob3) September 30, 2021
युवाओं को मिले अवसर
उन्होंने अपने संन्यास के बयान में कहा कि मेरा मानना है कि अब समय आ गया है जब युवा और प्रतिभाशाली खिलाड़ियों उस आनंद की अनुभूति का अवसर दिया, जो मैंने पिछले 13 वर्षों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए महसूस किया है।
टोक्यो ओलंपिक में मेडल जीतने में निभाई थी अहम भूमिका
रुपिंदर पाल सिंह ने टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए कांस्य पदक जीतने वाले मैच में जर्मनी के खिलाफ एक गोल दागा था। वहीं, इसके पहले के मैचों में भी रुपिंदर ने महत्वपूर्ण मौकों पर गोल करके टीम की सहायता की थी। इसके बाद गृह राज्य लौटने पर रुपिंदर और टीम के साथी गुरजंत सिंह को हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय की ओर से हॉकी चंडीगढ़ द्वारा आयोजित एक समारोह में 5-5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया था।
रुपिंदर के करियर पर एक नजर
2010 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत करने वाले रुपिंदर ने 223 मैचों में 119 गोल किए। उन्होंने अपना सीनियर डेब्यू 2010 में सुल्तान अजलान शाह टूर्नामेंट में किया था, जहां भारतीय टीम विजेता बनी थी। रुपिंदर भारत की टीम के सदस्य थे जब हमारी टीम ने 2014 एशियाई खेलों में स्वर्ण, 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत, 2018 एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था।