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भारतीय हॉकी टीमों ने 2022 बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स से वापस लिया नाम

हॉकी इंडिया ने भारतीय ओलंपिक संघ को पत्र लिखकर बताया कि कड़े क्वारंटाइन नियमों और कोविड की स्थिति को देखते हुए बर्मिंघम नहीं जाएंगे।

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Justin Joseph
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Indian Women Hockey Team. (Photo Source: Twitter)

Indian Women Hockey Team. (Photo Source: Twitter)

टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों का जुनून उतरा नहीं था कि अब फोकस अगले ओलंपिक खेलों की तरफ बढ़ गया है। इसी कड़ी में अगले साल बर्मिंघम में 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजित होंगे, जिसके हॉकी स्पर्धा से भारत की पुरुष और महिला टीमों ने अपना नाम वापस ले लिया है। हॉकी इंडिया ने भारतीय ओलंपिक संघ को पत्र लिखकर इस बात की जानकारी दी।

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हॉकी इंडिया मंगलवार को अगले साल होने वाले बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स की हॉकी प्रतियोगिता से पीछे हट गया है। इसके पीछे हॉकी इंडिया ने कोविड-19 मामलों और देश के यात्रियों के लिए ब्रिटेन के भेदभावपूर्ण क्वारंटाइन नियमों का हवाला दिया है। हॉकी इंडिया के अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निंगोबम ने इस फैसले से भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा को एक पत्र लिखकर अवगत कराया है।

खिलाड़ियों के संक्रमण का जोखिम नहीं ले सकते

हॉकी इंडिया ने कहा कि बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स और हांग्झू एशियाई खेलों के बीच सिर्फ 32 दिन का अंतर है। इस कारण से हॉकी इंडिया अपने खिलाड़ियों को यूके भेजने का जोखिम नहीं उठा सकती, जो कोरोना महामारी से सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों में शामिल है।

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निंगोबम ने अपने पत्र में लिखा कि आप इस बात की सराहना करेंगे कि एशियाई खेल पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए महाद्विपीय क्वालीफिकेशन प्रतियोगिता है और इसको ध्यान में रखते हुए हॉकी इंडिया कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान टीम के किसी भी खिलाड़ी को कोरोना संक्रमण होने का जोखिम नहीं ले सकता है। इसलिए हॉकी इंडिया कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में अपनी पुरुष और महिला टीमों को नहीं भेजेगी।

ब्रिटेन के सख्त क्वारंटाइन नियम

इस फैसले की संभावना कुछ हफ्ते पहले तब हुई जब IOA अध्यक्ष ने कहा कि हॉकी इंडिया ने उन्हें संकेत दिया था कि वह एशियाई खेलों के लिए शीर्ष फार्म में रहने वाले खिलाड़ियों के लिए अधिक उत्सुक है, जो 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफायर है। खेल मंत्रालयों के सूत्रों ने कहा था कि हॉकी इंडिया को मनाने का प्रयास किया जाएगा कि वे दूसरी स्ट्रिंग टीमों को भेजे।

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दरअसल, ब्रिटेन ने हाल ही में भारत के कोविड-19 टीकाकरण प्रमाणपत्रों को मान्यता देने से इनकार कर दिया और देश से आने वाले यात्रियों पर 10 दिन का कठोर क्वारंटाइन नियम लगाया, भले ही उन्हें पूरी तरह से टीका लगाया गया हो।

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